परिचय
नवरात्रि का प्रारंभ अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है। यह पर्व देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना के लिए मनाया जाता है। नवरात्रि का यह शुभ आरंभ बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और पूरे भारत में उत्साहपूर्वक मनाया जाता है।
धार्मिक महत्त्व
मान्यताओं के अनुसार, महिषासुर राक्षस के संहार हेतु देवी दुर्गा का प्राकट्य हुआ। नौ रातों तक देवी के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। पहला दिन देवी शक्ति के आह्वान का प्रतीक है और इसलिए विशेष महत्त्व रखता है।
अनुष्ठान और परंपराएँ
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घटस्थापना: देवी की उपस्थिति के प्रतीक रूप में कलश की स्थापना होती है।
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व्रत और संयम: भक्त उपवास रखते हैं और संयम का पालन करते हैं।
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प्रतिदिन पूजा: प्रत्येक दिन एक विशेष देवी को समर्पित होता है।
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गरबा और डांडिया: गुजरात सहित अन्य क्षेत्रों में रात्रि को गरबा और डांडिया का आयोजन होता है।
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कन्या पूजन: अंतिम दिनों में कन्याओं की पूजा की जाती है।
आध्यात्मिक अर्थ
नवरात्रि आत्मशुद्धि और आंतरिक शक्ति को जागृत करने का समय है। इसका पहला दिन साधना और आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत है।
सांस्कृतिक आयोजन
देश के विभिन्न भागों में इसे अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है – बंगाल में दुर्गा पूजा और दक्षिण भारत में गुड्डियों की सजावट (गोलू) प्रमुख है। समाज को जोड़ने वाला यह पर्व है।
निष्कर्ष
नवरात्रि प्रारंभ शक्ति, भक्ति, और साधना का शुभ आरंभ है जो हमें सत्य, साहस और करुणा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।




