परिचय
मातामह श्राद्ध पितृपक्ष के दौरान किया जाने वाला एक विशेष श्राद्ध होता है, जो कि अपनी माता के पिता यानी नाना जी की स्मृति में किया जाता है। "मातामह" का अर्थ होता है – माँ का पिता। यह श्राद्ध उनके आत्मा की शांति और परिवार की समृद्धि के लिए किया जाता है।
महत्त्व
हिंदू परंपरा में पितृों का श्राद्ध अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। मातृ पक्ष के पूर्वजों के लिए श्रद्धा प्रकट करना भी उतना ही आवश्यक है। मातामह श्राद्ध नाना के प्रति कृतज्ञता और सम्मान प्रकट करने का माध्यम है।
श्राद्ध विधि
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पितृपक्ष में नाना जी की मृत्यु तिथि पर श्राद्ध किया जाता है
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पवित्र स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनकर पूजन स्थल तैयार करना
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तिल, जल और जौ से तर्पण करना
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पिंडदान कर आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करना
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ब्राह्मणों को भोजन कराना और गऊ, कुत्ते, कौए को भी अन्न दान देना
लाभ और विश्वास
मातामह श्राद्ध से पूर्वजों को शांति मिलती है, पितृ दोष दूर होते हैं, और मातृ पक्ष से जुड़ी परेशानियों का समाधान होता है।
निष्कर्ष
मातामह श्राद्ध हमारे जीवन में संस्कार, कृतज्ञता और आध्यात्मिकता की भावना को मजबूती देता है। यह एक ऐसा धार्मिक कर्तव्य है जो परिवार के मूल्यों को बनाए रखने में मदद करता है।




