परिचय
चतुर्दशी श्राद्ध पितृ पक्ष की कृष्ण चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। यह श्राद्ध उन पितरों के लिए होता है जिनकी मृत्यु चतुर्दशी तिथि को हुई हो।
धार्मिक महत्व
चतुर्दशी तिथि को सामान्यतः अमंगलकारी माना जाता है क्योंकि इस दिन कई बार आकस्मिक या हिंसक मृत्यु होती है। ऐसे पितरों की आत्मा की शांति हेतु यह श्राद्ध अत्यंत आवश्यक होता है।
कौन करें श्राद्ध
यदि परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु दुर्घटना, आत्महत्या या किसी हिंसक कारण से हुई हो, तो उनके वंशज इस तिथि पर श्राद्ध करते हैं। पुत्र या निकट संबंधी को यह कर्तव्य निभाना चाहिए।
मुख्य विधियाँ
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प्रातः स्नान और स्वच्छ वस्त्र धारण
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तिल, जौ और जल से तर्पण करना
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श्रद्धा से पिंडदान
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कौवे, कुत्ते और गाय को भोजन कराना
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ब्राह्मणों को भोज और दक्षिणा देना
शास्त्रीय प्रमाण
गरुड़ पुराण और मत्स्य पुराण में चतुर्दशी श्राद्ध का विशेष उल्लेख मिलता है। यह श्राद्ध उन आत्माओं को शांति देने हेतु किया जाता है जिनकी मृत्यु अचानक या अप्राकृतिक रूप से हुई हो।
निष्कर्ष
चतुर्दशी श्राद्ध अपने पूर्वजों की आत्मा के प्रति सम्मान और प्रार्थना का एक माध्यम है। यह श्राद्ध परिवार में सकारात्मक ऊर्जा और पितृ कृपा लाता है।