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पर्व का परिचय:

उत्पत्ति एकादशी मार्गशीर्ष (या अग्रहायण) महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी (ग्यारहवें दिन) तिथि पर मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू उपवास दिवस है। इस पवित्र दिन का अत्यधिक महत्व है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इसी दिन एकादशी देवी भगवान विष्णु से असुर मुर का वध करने के लिए प्रकट हुई थीं। इसलिए, यह एकादशी के 'जन्म' (उत्पत्ति) का प्रतीक है, जिससे यह कुछ परंपराओं के अनुसार कैलेंडर वर्ष में मनाई जाने वाली पहली एकादशी बन जाती है।

उत्पत्ति एकादशी की कथा:

भविष्योत्तर पुराण के अनुसार, एकादशी की उत्पत्ति एक शक्तिशाली स्त्री देवी से हुई है जो दुर्जेय राक्षस मुर से लड़ने के लिए भगवान विष्णु से प्रकट हुई थीं। मुर अविश्वसनीय रूप से शक्तिशाली हो गया था और देवताओं को आतंकित कर रहा था। जब भगवान विष्णु ने मुर से एक हजार साल तक युद्ध किया और थक गए, तो वे आराम करने के लिए एक गुफा में चले गए। मुर ने वहां उन पर हमला करने का प्रयास किया, लेकिन भगवान विष्णु के शरीर से एक दिव्य स्त्री ऊर्जा प्रकट हुई। यह स्त्री देवी, जिसे एकादशी के नाम से जाना जाता है, ने मुर से युद्ध किया और उसे मार डाला। अपनी शक्ति से प्रसन्न होकर, भगवान विष्णु ने उन्हें एकादशी नाम दिया और उन्हें वरदान दिया कि जो कोई भी उनकी तिथि (दिन) पर उपवास करेगा, वह पापों से मुक्त हो जाएगा और मोक्ष (मुक्ति) प्राप्त करेगा। इस प्रकार, उत्पत्ति एकादशी इस दिव्य शक्ति के जन्म और बुराई पर अच्छाई की विजय का स्मरण कराती है।

यह पर्व क्यों मनाया जाता है:

उत्पत्ति एकादशी मुख्य रूप से भगवान विष्णु और एकादशी देवी का सम्मान करने के लिए मनाई जाती है। इस व्रत को रखने से अतीत और वर्तमान के पापों से मुक्ति मिलती है, आत्मा शुद्ध होती है, और आध्यात्मिक मुक्ति का मार्ग खुलता है। यह आत्म-नियंत्रण, भक्ति और शांति व समृद्धि के लिए दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने के महत्व पर जोर देता है।

पर्व की मुख्य परंपराएँ:

कठोर उपवास: भक्त पूर्ण उपवास रखते हैं, अक्सर अनाज, दालों और कभी-कभी पानी (निर्जला उपवास) से भी परहेज करते हैं, जो व्यक्तिगत क्षमता और क्षेत्रीय रीति-रिवाजों पर निर्भर करता है।

भगवान विष्णु और एकादशी देवी की पूजा: भगवान विष्णु और एकादशी देवी को विशेष प्रार्थनाएँ, आरती और प्रसाद चढ़ाया जाता है। विष्णु सहस्रनाम और अन्य विष्णु मंत्रों का जाप आम है।

व्रत कथा का पाठ: उत्पत्ति एकादशी की कथा का भक्तों द्वारा पाठ या श्रवण किया जाता है ताकि इसके महत्व और आध्यात्मिक लाभों को समझा जा सके।

दान: ब्राह्मणों और ज़रूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या धन का दान करना इस दिन अत्यधिक पुण्यकारी माना जाता है।

रात्रि जागरण: कुछ भक्त रात भर जागते रहते हैं, भक्ति गीत गाते हैं और प्रार्थनाएँ करते हैं।

पर्व का महत्व:

उत्पत्ति एकादशी का गहन आध्यात्मिक महत्व है क्योंकि यह मूल एकादशी है। यह बुराई के खिलाफ दिव्य सुरक्षा और भक्ति की शुद्ध करने वाली शक्ति का एक शक्तिशाली अनुस्मारक है। इस व्रत को रखने से अत्यधिक आशीर्वाद मिलता है, मन और शरीर शुद्ध होता है, और आध्यात्मिक उन्नति तथा जन्म और मृत्यु के चक्र से अंतिम मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। यह विश्वास को दोहराने, आत्म-अनुशासन का अभ्यास करने और दिव्य से गहराई से जुड़ने का दिन है।

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