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संत फ्रांसिस जेवियर

परिचय
संत फ्रांसिस जेवियर का पर्व हर साल 3 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन महान ईसाई संत और प्रचारक फ्रांसिस जेवियर को समर्पित है जिन्होंने भारत और एशिया में ईसाई धर्म के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
फ्रांसिस जेवियर का जन्म 7 अप्रैल 1506 को वर्तमान स्पेन में हुआ था। उन्होंने पेरिस विश्वविद्यालय में पढ़ाई की और वहीं इग्नेशियस ऑफ लोयोला से मिले, जिनके साथ मिलकर उन्होंने 1534 में जीसस समाज (Jesuit) की स्थापना की।

भारत में मिशनरी कार्य
1542 में वे गोवा पहुँचे और गरीबों, मछुआरों और बीमारों की सेवा के साथ-साथ ईसाई धर्म का प्रचार किया। उन्होंने विशेष रूप से तमिलनाडु, केरल और दक्षिण भारत में धर्मप्रसार किया।

वैश्विक मिशन और विरासत
भारत के बाद उन्होंने मलेशिया, जापान और मोलुकास द्वीपों की यात्रा की। वे चीन जाना चाहते थे, लेकिन 3 दिसंबर 1552 को चीन के पास शांगचुआन द्वीप पर उनका निधन हो गया। उनका शरीर बाद में गोवा लाया गया और बोम जीसस बेसिलिका में रखा गया।

गोवा और विश्वभर में उत्सव
गोवा में यह पर्व भव्य जुलूस, विशेष प्रार्थना सभाओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ मनाया जाता है। भारत और विदेशों से हज़ारों श्रद्धालु उनके समाधि स्थल पर दर्शन करने आते हैं।

महत्त्व
संत फ्रांसिस जेवियर को उनके सेवाभाव, करुणा और धर्म के प्रति निष्ठा के लिए याद किया जाता है। वे मिशनरियों के संरक्षक संत माने जाते हैं।

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