परिचय
पोंगल दक्षिण भारत, विशेषकर तमिलनाडु का एक प्रमुख पर्व है, जो मकर संक्रांति के आसपास चार दिनों तक मनाया जाता है। यह उत्सव नई फसल की कटाई के बाद सूर्य देवता, गायों और किसानों की मेहनत के लिए आभार व्यक्त करने हेतु मनाया जाता है। 'पोंगल' का अर्थ है 'उबलना', और इसी नाम की एक खास खीर इस दिन बनाई जाती है।
पोंगल का उद्देश्य और महत्व
यह त्योहार प्रकृति के साथ सामंजस्य और कृतज्ञता प्रकट करने का प्रतीक है। सूर्य, धरती, वर्षा, और पशुओं के योगदान का सम्मान इस पर्व के माध्यम से किया जाता है। किसान इस दिन भगवान को धन्यवाद देते हैं।
चार दिनों का उत्सव
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भोगी पोंगल – पुराने सामान को त्यागकर जीवन में नई शुरुआत की जाती है।
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सूर्य पोंगल – मुख्य दिन, जिसमें सूर्य की पूजा और पोंगल पकवान बनता है।
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मट्टू पोंगल – गायों और बैलों को सजाया जाता है और उनकी पूजा होती है।
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कन्या पोंगल – युवक-युवतियां रंगोली, खेल और नृत्य में भाग लेते हैं।
पोंगल पकवान का महत्व
पोंगल एक स्वादिष्ट मिठा व्यंजन होता है, जो चावल, दूध, गुड़ और तिल से बनता है। इसे मिट्टी के बर्तन में उबालकर सूर्य देव को अर्पित किया जाता है। ‘पोंगलो पोंगल’ कहकर खुशी मनाई जाती है।
वर्तमान में उत्सव की झलक
आज भी पोंगल का उत्सव पारंपरिक शैली में पूरे हर्षोल्लास से मनाया जाता है। तमिलनाडु के अलावा देश-विदेश में रहने वाले तमिल समुदाय भी इसे बड़े उत्साह से मनाते हैं।




