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Makar Sankranti

मकर संक्रांति हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो हर वर्ष 14 जनवरी को मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देवता मकर राशि में प्रवेश करते हैं, जिसे सूर्य संक्रांति कहा जाता है। यह पर्व सर्दियों के अंत और गर्मियों की शुरुआत का संकेत देता है। मकर संक्रांति से शुभ कार्यों का समय यानी उत्तरायण शुरू होता है, जिसे अत्यंत पवित्र माना गया है।

पर्व के पीछे की कथा

एक कथा के अनुसार, महाभारत के महान योद्धा भीष्म पितामह ने अपनी इच्छा से मकर संक्रांति के दिन ही प्राण त्यागे थे, क्योंकि यह समय स्वर्ग प्राप्ति और मोक्ष के लिए सबसे उत्तम माना गया है। एक अन्य मान्यता के अनुसार, इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने आते हैं, जो मकर राशि के स्वामी हैं। यह कथा पिता-पुत्र के रिश्ते और आपसी समझ का प्रतीक मानी जाती है।

हम मकर संक्रांति क्यों मनाते हैं

मकर संक्रांति का पर्व सकारात्मक ऊर्जा, नई शुरुआत और कृतज्ञता का प्रतीक है। यह दिन विशेष रूप से किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस समय नई फसलें तैयार होती हैं। लोग इस दिन को धन, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति के रूप में मनाते हैं और सूर्य देवता को धन्यवाद देते हैं।

मकर संक्रांति की प्रमुख परंपराएँ

इस दिन लोग तिल और गुड़ से बने व्यंजन खाते और बाँटते हैं, जो मिठास और सौहार्द का प्रतीक हैं। कई स्थानों पर पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है, जिससे पापों का क्षय होता है। पतंग उड़ाने की परंपरा विशेष रूप से गुजरात और राजस्थान में प्रसिद्ध है। लोग अपने घरों में पूजा करते हैं और सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं।

मकर संक्रांति का महत्व

यह पर्व धर्म, विज्ञान और प्रकृति का सुंदर संगम है। यह समय आत्मिक शुद्धि, सामाजिक एकता और नई ऊर्जा का प्रतीक है। मकर संक्रांति न केवल ऋतु परिवर्तन का संकेत देती है, बल्कि हमें धैर्य, आभार और आत्मविकास की प्रेरणा भी देती है।

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