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परिचय
मोहिनी एकादशी वैष्णव एकादशियों में एक अत्यंत पावन तिथि है, जो वैसाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है और उपवास, पूजा और ध्यान के माध्यम से मनाया जाता है।

मोहिनी रूप की कथा
पुराणों के अनुसार, समुद्र मंथन के समय जब देवताओं और असुरों के बीच अमृत को लेकर विवाद हुआ, तब भगवान विष्णु ने मोहिनी नामक सुंदर स्त्री का रूप लिया। उन्होंने असुरों को मोहित करके देवताओं को अमृत पिला दिया। इसलिए इस एकादशी को "मोहिनी एकादशी" कहा जाता है।

व्रत का महत्व और फल
भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था कि इस व्रत के पालन से अनेक जन्मों के पाप नष्ट होते हैं और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत आत्मशुद्धि और मानसिक शांति प्रदान करता है।

विधि और परंपराएं
इस दिन श्रद्धालु उपवास रखते हैं, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करते हैं, धार्मिक ग्रंथों का पाठ करते हैं, दीप जलाते हैं और जरूरतमंदों को दान करते हैं। रात्रि जागरण भी पुण्यकारी माना जाता है।

मोक्ष और आध्यात्मिक लाभ
मोहिनी एकादशी का व्रत जीवन में पवित्रता और शांति लाता है, साथ ही भक्त को सांसारिक मोह से मुक्ति प्रदान करता है।

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