मुख्य सामग्री पर जाएं
ToranToran

बुद्ध पूर्णिमा

परिचय
बुद्ध पूर्णिमा, जिसे वैशाख पूर्णिमा भी कहते हैं, भगवान गौतम बुद्ध की जन्मतिथि, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण (मृत्यु) का स्मरण करने का पवित्र दिन है। यह वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है।

गौतम बुद्ध का जीवन
गौतम बुद्ध का जन्म ईसा पूर्व 563 में लुंबिनी (वर्तमान नेपाल) में शाक्य वंश के राजकुमार के रूप में हुआ था। उनके पिता का नाम राजा शुद्धोधन और माता का नाम मायादेवी था। उनका बाल्यकाल का नाम सिद्धार्थ था। राजसी जीवन के बावजूद उन्होंने संसार के दुःख को देखकर 29 वर्ष की उम्र में सब कुछ त्याग दिया।

ज्ञान प्राप्ति
कठोर तपस्या और ध्यान के पश्चात सिद्धार्थ को बोधगया में पीपल वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ और वे "बुद्ध" कहलाए। उन्होंने जीवन के मध्य मार्ग की शिक्षा दी – न अत्यधिक भोग, न अत्यधिक त्याग।

धर्म और उपदेश
गौतम बुद्ध ने चार आर्य सत्यों और अष्टांगिक मार्ग की व्याख्या करते हुए दुःखों से मुक्ति का रास्ता बताया। वे करुणा, शांति और अहिंसा के प्रवर्तक थे। उनका संदेश आज भी पूरी दुनिया में करोड़ों लोग अपनाते हैं।

उत्सव और परंपराएँ
बुद्ध पूर्णिमा के दिन बौद्ध मंदिरों में विशेष पूजा, ध्यान, प्रवचन और दान आदि का आयोजन होता है। बुद्ध की प्रतिमा को फूलों, दीपक और धूप से सजाया जाता है। भक्त उपवास रखते हैं और सेवा कार्यों में भाग लेते हैं।

आध्यात्मिक महत्व
बुद्ध पूर्णिमा एक आत्मचिंतन और करुणा का पर्व है, जो मानव मात्र को शांति और सच्चाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। यह दिन जन्म, ज्ञान और निर्वाण – तीनों घटनाओं का प्रतीक है।

हमारे साप्ताहिक समाचार पत्र के साथ अद्यतन रहें

नवीनतम अपडेट, टिप्स और विशेष सामग्री सीधे अपने इनबॉक्स में प्राप्त करें।