परिचय
इंदिरा एकादशी आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु की पूजा और पितरों की शांति के लिए अत्यंत पावन माना जाता है। यह तिथि पितृ पक्ष के दौरान आती है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
धार्मिक महत्व
ब्रह्मवैवर्त पुराण में बताया गया है कि इंदिरा एकादशी का व्रत रखने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत न केवल आत्मिक शुद्धि प्रदान करता है बल्कि पितरों को भी तृप्त करता है।
धार्मिक कथा
महीष्मती के राजा इंद्रसेन को नारद मुनि ने बताया कि उनके पिताजी की आत्मा दुखी है। उन्होंने राजा को इंदिरा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। व्रत के प्रभाव से उनके पिताजी को मोक्ष प्राप्त हुआ।
अनुष्ठान और विधियाँ
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व्रत: भक्त निर्जला व्रत या फलाहार करते हैं।
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श्राद्ध और तर्पण: पितरों के लिए तिल, जल और भोजन से तर्पण किया जाता है।
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विष्णु पूजा: भगवान विष्णु की पूजा तुलसी पत्र, दीप, धूप और मंत्रों से होती है।
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जागरन: रात्रि में भजन, कीर्तन और ग्रंथ पाठ के साथ जागरण किया जाता है।
आध्यात्मिक महत्व
यह व्रत व्यक्ति को मोह-माया से मुक्त करता है और पूर्वजों के प्रति कर्तव्य की भावना को प्रबल करता है। आत्मा की शुद्धि और पितृ तृप्ति के लिए यह एक विशेष दिन है।
निष्कर्ष
इंदिरा एकादशी का व्रत आत्मिक उत्थान और पितृ शांति के लिए किया जाता है। यह दिन जीवन को पुण्य और पितृ ऋण से मुक्त करने का सशक्त माध्यम है।




