परिचय
एकादशी श्राद्ध पितृ पक्ष की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। यह उन पूर्वजों की आत्मा की शांति हेतु किया जाता है जिनका निधन इस तिथि को हुआ हो।
धार्मिक महत्व
एकादशी का दिन हिन्दू धर्म में पवित्र माना गया है। इस दिन श्राद्ध करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और वंशजों पर आशीर्वाद बना रहता है। यह पितृ ऋण से मुक्ति का मार्ग भी माना गया है।
कौन करे यह श्राद्ध
जिस व्यक्ति के पितृ एकादशी तिथि को स्वर्गवासी हुए हों, उसके पुत्र या अन्य निकट संबंधी को यह श्राद्ध करना चाहिए। विधिपूर्वक तर्पण और दान करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है।
मुख्य विधियाँ
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तिल, जल और कुश से तर्पण
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चावल और घी के पिंड अर्पित करना
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कुत्ते, गाय और कौवे को भोजन
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ब्राह्मण को भोजन और दक्षिणा देना
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दान – वस्त्र, अन्न या धन
शास्त्रों का समर्थन
गरुड़ पुराण और अन्य शास्त्रों में एकादशी तिथि के श्राद्ध का विशिष्ट उल्लेख है। यह श्राद्ध पूर्वजों को शांति और परिवार को सुख-समृद्धि प्रदान करता है।
निष्कर्ष
एकादशी श्राद्ध पितरों के प्रति श्रद्धा और कर्तव्य को निभाने का एक दिव्य अवसर है। यह जीवन में संतुलन और आत्मिक शुद्धि लाने में सहायक होता है।




