मुख्य सामग्री पर जाएं
ToranToran

पवित्र पुत्रदा एकादशी

परिचय
पवित्र पुत्रदा एकादशी हिंदू धर्म में श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इसे "पवित्र एकादशी" और "पुत्रदा एकादशी" भी कहा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से संतान प्राप्ति की कामना रखने वालों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

पवित्रता का महत्व
श्रावण मास में मन, वचन और कर्म की शुद्धता पर विशेष बल दिया जाता है। इस एकादशी का व्रत व्यक्ति को आत्मिक शुद्धता, संयम और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का मार्ग प्रदान करता है।

संतान प्राप्ति हेतु व्रत
"पुत्रदा" का अर्थ होता है पुत्र प्रदान करने वाली। जिन दंपतियों को संतान की इच्छा हो, वे इस दिन विशेष श्रद्धा से व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु से संतान सुख की प्रार्थना करते हैं।

पूजा विधि
सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लेते हैं। भगवान विष्णु की पूजा तिल, तुलसी और जल से करते हैं। पूरे दिन उपवास रखते हैं और रात को जागरण व भजन करते हैं।

व्रत का फल
पवित्र पुत्रदा एकादशी व्रत से भक्तों को संतान सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही पुराने पापों से मुक्ति और घर में सुख-शांति का वास होता है।

हमारे साप्ताहिक समाचार पत्र के साथ अद्यतन रहें

नवीनतम अपडेट, टिप्स और विशेष सामग्री सीधे अपने इनबॉक्स में प्राप्त करें।