पर्व का परिचय:
शीतला सप्तमी हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है, जिसमें शीतला माता की पूजा करके उनसे परिवार की सुख-शांति और संतान सुख की कामना की जाती है। यह पर्व विशेष रूप से चैत माह की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर मार्च या अप्रैल महीने में पड़ती है।
कथा:
शीतला माता की पूजा से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, एक समय की बात है कि एक गाँव में एक राक्षस नामक ज्वरासुर ने बच्चों में बुखार फैलाना शुरू किया, जिससे गाँव में हाहाकार मच गया। गाँववाले परेशान होकर अपने देवताओं से सहायता की प्रार्थना करने लगे। तब देवी कात्यायनी ने शीतला माता के रूप में अवतार लिया और ज्वरासुर से युद्ध किया। उन्होंने ज्वरासुर को पराजित करके गाँव के बच्चों को बुखार से मुक्त किया। इसी घटना की स्मृति में शीतला सप्तमी का पर्व मनाया जाता है, जिसमें शीतला माता की पूजा करके बुखार और अन्य संक्रामक रोगों से रक्षा की प्रार्थना की जाती है।
हम यह पर्व क्यों मनाते हैं:
शीतला सप्तमी का पर्व विशेष रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है, जिसमें शीतला माता की पूजा करके परिवार की सुख-शांति, संतान सुख और स्वास्थ्य की कामना की जाती है। यह पर्व बुखार और अन्य संक्रामक रोगों से रक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
पर्व की प्रमुख परंपराएँ:
शीतला माता की पूजा:
इस दिन महिलाएँ शीतला माता की विशेष पूजा करती हैं, जिसमें उन्हें ठंडे पकवान अर्पित किए जाते हैं।
उपवास रखना:
कुछ महिलाएँ इस दिन उपवास रखती हैं और माता से परिवार की सुख-शांति और संतान सुख की प्रार्थना करती हैं।
स्वच्छता अभियान:
पर्व के अवसर पर घरों और गाँवों की स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाता है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा से बचा जा सके।
पर्व का महत्व:
स्वास्थ्य की रक्षा:
शीतला माता की पूजा से बुखार और अन्य संक्रामक रोगों से रक्षा मिलती है।
संतान सुख की प्राप्ति:
यह पर्व संतान सुख की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।
परिवार की सुख-शांति:
माता की पूजा से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
शीतला सप्तमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो विशेष रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। यह पर्व शीतला माता की पूजा करके परिवार की सुख-शांति, संतान सुख और स्वास्थ्य की कामना करने का अवसर प्रदान करता है। इसके माध्यम से समाज में स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने का भी कार्य होता है।