रांधन छठ क्या है?
रांधन छठ (या रंधन छठ) मुख्य रूप से गुजरात और कुछ पश्चिमी भारत के राज्यों में मनाया जाने वाला एक परंपरागत धार्मिक पर्व है। यह श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है, जो कि शीतला सप्तमी (शीतला सातम) से एक दिन पूर्व आती है।
इस दिन भक्तगण शुद्ध और सात्त्विक भोजन पकाते हैं, जो अगले दिन शीतला माता को चढ़ाया जाता है और प्रसाद रूप में सेवन किया जाता है।
पर्व का महत्व
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यह दिन शीतला माता को समर्पित होता है, जो कि रोगों और संक्रमण से रक्षा करने वाली देवी मानी जाती हैं।
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इस दिन पकाया गया भोजन तुरंत नहीं खाया जाता, बल्कि अगले दिन पूजा में चढ़ाया जाता है।
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यह पर्व शारीरिक और मानसिक शुद्धता, अनुशासन, और ईश्वर के प्रति समर्पण का प्रतीक है।
पूजा विधि व परंपरा
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सुबह जल्दी उठकर रसोईघर की साफ-सफाई की जाती है।
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शुद्ध सात्त्विक भोजन पकाया जाता है – लहसुन, प्याज, इमली आदि का परहेज होता है।
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खाना शुद्धता और भक्ति भाव से पकाया जाता है, जैसे कि वह सीधे देवी को अर्पण किया जा रहा हो।
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अगले दिन शीतला सातम पर यह भोजन माता को चढ़ाया जाता है और वही भोजन घर में सब लोग खाते हैं – उस दिन रसोई में अग्नि का प्रयोग वर्जित होता है।
सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संदेश
रांधन छठ का उद्देश्य केवल भोजन बनाना नहीं, बल्कि विनम्रता, भक्ति और अनुशासन का पालन करना भी है। यह हमें स्वच्छता, सेवा और संयम के महत्व की याद दिलाता है।