परिचय
अपरा एकादशी ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस एकादशी को "महापातकों से मुक्ति दिलाने वाली" एकादशी कहा जाता है। इस दिन व्रत, ध्यान और भगवान विष्णु की आराधना विशेष फलदायी मानी जाती है।
धार्मिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, जब युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से इस व्रत के बारे में पूछा, तब श्रीकृष्ण ने बताया कि इस व्रत से सभी प्रकार के पाप नष्ट होते हैं। कथा में बताया गया है कि राजा महासत्वर्ण ने यह व्रत कर सभी पापों से मुक्ति पाई और मोक्ष की प्राप्ति की।
व्रत और पूजन विधि
इस दिन उपवासी व्यक्ति सूर्योदय से पहले स्नान कर व्रत का संकल्प करता है। पूरे दिन फलाहार करता है और रात्रि में जागरण कर विष्णु सहस्त्रनाम और अन्य मंत्रों का जाप करता है। अगले दिन द्वादशी को व्रत का पारण किया जाता है।
व्रत का फल
कहा गया है कि यह व्रत ब्रह्महत्या, चोरी, असत्य बोलने जैसे घोर पापों से मुक्ति दिलाता है। यह तीर्थयात्रा, यज्ञ और दान के बराबर या उससे भी अधिक पुण्य प्रदान करता है।
आध्यात्मिक महत्व
अपरा एकादशी आत्मा की शुद्धि और मानसिक शांति प्राप्त करने का श्रेष्ठ अवसर है। यह व्यक्ति को अधर्म से धर्म की ओर ले जाती है और उसके जीवन में सकारात्मकता लाती है।