परिचय
वालपुर्गिस नाइट 30 अप्रैल की रात को मनाई जाती है और यह खासकर जर्मनी, स्वीडन और फिनलैंड में वसंत के आगमन का उत्सव है। यह परंपरागत रूप से जाड़े के अंत और वसंत की शुरुआत को चिह्नित करता है।
इतिहास और उत्पत्ति
इस दिन का नाम सेंट वालपुर्गा के नाम पर पड़ा, जो 8वीं सदी की एक अंग्रेज़ मिशनरी थीं। उनका संत के रूप में अभिषेक 1 मई को हुआ था, जिससे यह दिन विशेष हो गया। धीरे-धीरे ईसाई और लोक परंपराएं मिल गईं।
आधुनिक उत्सव
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बुरी आत्माओं को भगाने के लिए बड़े अलाव जलाना
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खुले मैदानों या नगर चौराहों पर नृत्य और गीत
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वेशभूषा पहनकर रंगारंग उत्सव
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कुछ जगहों पर इसे 'चुड़ैलों की रात' भी कहा जाता है
महत्त्व
यह उत्सव अंधकार पर प्रकाश की विजय, प्रकृति के पुनर्जन्म और सामाजिक एकता का प्रतीक है।
निष्कर्ष
वालपुर्गिस नाइट लोक परंपरा, इतिहास और सामाजिक एकता का मेल है, जो वसंत का स्वागत उल्लास से करता है।




