विजया एकादशी: विजय प्राप्ति और मोक्ष का मार्ग
विजया एकादशी फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु की आराधना, उपवास और आत्मशुद्धि के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इस एकादशी का पालन करने से सभी प्रकार की बाधाओं पर विजय प्राप्त होती है।
पौराणिक कथा और महिमा
स्कंद और पद्म पुराण में उल्लिखित कथा के अनुसार, श्रीरामचंद्रजी ने लंका जाने से पूर्व समुद्र पार करने के लिए इस एकादशी का व्रत किया था। व्रत की पूर्णता के बाद उन्हें विजय प्राप्त हुई। इस कारण इसे विजया एकादशी कहा जाता है।
व्रत विधि और पूजा का महत्व
व्रतधारी इस दिन उपवास रखते हैं, दिनभर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करते हैं और रातभर जागरण करते हैं। फलाहार करना या केवल जल ग्रहण करके उपवास करना इस दिन विशेष फलदायी होता है।
विजया एकादशी का आध्यात्मिक महत्व
यह तिथि न केवल सांसारिक सफलता के लिए, बल्कि आत्मिक उन्नति, पापों के नाश और जीवन के कल्याण के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह व्रत मन, वचन और कर्म की शुद्धि लाता है।
निष्कर्ष
विजया एकादशी हमें सिखाती है कि भक्ति, संयम और श्रद्धा के साथ जीवन में किसी भी संकट पर विजय पाई जा सकती है।




