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परिचय:

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना को समर्पित होता है। भक्त उपवास रखते हैं, मंत्रोच्चार और पूजा करते हैं तथा पूरी रात जागरण के माध्यम से भक्ति व्यक्त करते हैं।

कथा और पौराणिक पृष्ठभूमि:

महाशिवरात्रि के पीछे कई लोकप्रिय कथाएँ हैं:

समुद्र मंथन के दौरान हलाहल नामक विष निकला था। संपूर्ण सृष्टि को बचाने के लिए भगवान शिव ने इस विष को पी लिया और उनका कंठ नीला हो गया, जिससे उन्हें नीलकंठ कहा जाता है। कहा जाता है कि यह घटना महाशिवरात्रि के दिन हुई थी।

एक अन्य मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने इस रात तांडव नृत्य किया था, जो सृष्टि और विनाश के चक्र को दर्शाता है।

कुछ कथाओं के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह भी इसी दिन हुआ था, इसलिए इस दिन उनकी विधिपूर्वक पूजा का विशेष महत्व है।

शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है:
इस पर्व के माध्यम से भक्त आत्मशांति, आध्यात्मिक विकास और भगवान शिव से एकरूपता प्राप्त करने के लिए उपवास और पूजा करते हैं। यह दिन शांति, तपस्या और भक्ति का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि शिवरात्रि के दिन भक्ति-भाव से की गई पूजा से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

मुख्य परंपराएँ:

उपवास रखना और पूरी रात जागरण करना

शिवलिंग पर जल, दूध, घी, शहद और बेलपत्र चढ़ाना

“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करना

भजन, कीर्तन और शिव पुराण की कथाओं का श्रवण करना

मंदिरों में विशेष श्रृंगार होता है और दर्शन के लिए भीड़ उमड़ती है

महत्व:

महाशिवरात्रि केवल एक त्योहार नहीं बल्कि आध्यात्मिक उत्थान का एक अवसर है। यह दिन नकारात्मकता पर विजय और आत्मजागृति की दिशा में एक कदम है। भगवान शिव की कृपा से भक्तों को धैर्य, समृद्धि और आत्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है।

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