परिचय
शास्त्रीजी महाराज जयंती BAPS संस्था के संस्थापक स्वामी यज्ञपुरुषदास की जयंती है। यह दिन आध्यात्मिकता, भक्ति और सत्संग को समर्पित है, जिसे श्रद्धा से मनाया जाता है।
जन्म और बचपन
उनका जन्म 31 जनवरी 1865 (वसंत पंचमी) को गुजरात के महेलाव गाँव में दुंगर पटेल के रूप में हुआ। बचपन से ही वे धर्मनिष्ठ, विद्वान और अत्यंत बुद्धिमान थे।
संन्यास और साधु जीवन
17 वर्ष की उम्र में भगतजी महाराज ने उन्हें दीक्षा दी और उनका नाम यज्ञपुरुषदास स्वामी रखा गया। उन्होंने जीवनभर अक्षर-पुरुषोत्तम सिद्धांत का प्रचार किया।
BAPS की स्थापना
1907 में उन्होंने बोटासन में BAPS संस्था की नींव रखी और पहला मंदिर बनाकर दर्शन की परंपरा को जन-जन तक पहुँचाया।
योगदान और मंदिर निर्माण
उन्होंने पाँच प्रमुख मंदिरों में अक्षर-पुरुषोत्तम की मूर्तियों की प्रतिष्ठा की और समाज में भक्ति, सेवा और शुद्ध जीवन मूल्यों को फैलाया।
जयंती समारोह
इस दिन भजन, प्रवचन, सेवा कार्य, नाटक आदि के माध्यम से शास्त्रीजी महाराज की शिक्षाओं और सेवा को स्मरण किया जाता है।
निष्कर्ष
शास्त्रीजी महाराज का जीवन सेवा, साहस और भक्ति का प्रतीक है। उनका जीवन और कार्य आज भी लोगों को आध्यात्मिक जीवन जीने की प्रेरणा देता है।




