परिचय
जया एकादशी हिंदू धर्म की पवित्र एकादशियों में से एक है, जो माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है। इसे पापमोचिनी एकादशी भी कहा जाता है क्योंकि इसका व्रत करने से समस्त पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, नंदनवन में एक बार यक्ष मल्यावान और अप्सरा पुष्पवती ने देवताओं के समक्ष नृत्य और संगीत के दौरान अनुचित व्यवहार किया। इंद्र ने उन्हें शाप देकर भूत योनि में जन्म दिया। बाद में दोनों ने माघ शुक्ल एकादशी का व्रत किया, जिससे उन्हें शाप से मुक्ति और मोक्ष प्राप्त हुआ। इस घटना से प्रेरित होकर इस एकादशी को 'जया एकादशी' कहा जाता है।
व्रत का महत्व
इस दिन व्रत करने से व्यक्ति पितृ दोष, भूत बाधा और पापों से मुक्त हो जाता है। यह व्रत विशेष रूप से विष्णु भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है।
मुख्य परंपराएं
भक्त उपवास रखते हैं, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करते हैं, जागरण करते हैं और भगवान विष्णु की आराधना करते हैं। दान और पुण्य के कार्य इस दिन अत्यंत फलदायक माने जाते हैं।
निष्कर्ष
जया एकादशी आत्मशुद्धि, भक्ति और मोक्ष की राह का एक महत्वपूर्ण पर्व है जो भगवान विष्णु की कृपा से जीवन को पवित्र बनाता है।




