होलाष्टक आरंभ: होली से पहले के अशुभ आठ दिन
होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से आरंभ होकर होली तक चलता है। इन आठ दिनों को हिंदू धर्म में अशुभ माना जाता है, और इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण आदि जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते।
पौराणिक मान्यता और धार्मिक संदर्भ
कथाओं के अनुसार, फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से भक्त प्रह्लाद पर उसके पिता हिरण्यकश्यप ने अत्याचार शुरू किया था। आठ दिनों तक कष्ट सहने के बाद होलिका दहन के दिन उसका उद्धार हुआ। इसलिए यह समय अशुभ माना जाता है।
शुभ कार्यों पर रोक
होलाष्टक के दौरान विवाह, नए व्यापार, भूमि पूजन, या अन्य शुभ कार्यों से बचना चाहिए। इस अवधि को आध्यात्मिक साधना का समय माना गया है।
धार्मिक आस्था और साधना
इस समय भक्त भगवान विष्णु या नृसिंह की आराधना, व्रत, भजन-कीर्तन में लीन रहते हैं। यह आत्मशुद्धि और धर्म साधना का समय होता है।
निष्कर्ष
होलाष्टक आत्ममंथन, संयम और साधना की घड़ियाँ हैं, जिनका पालन श्रद्धा और नियम से करना चाहिए।




