पर्व का परिचय:
गुणातीत दीक्षा दिन हिन्दू पंचांग के पौष पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह दिन ईश्वर और गुरु को पूर्ण रूप से समर्पित जीवन की शुरुआत का प्रतीक है। विशेष रूप से यह स्वामीनारायण परंपरा, विशेषकर बीएपीएस (BAPS) में अत्यंत पावन माना जाता है।
गुणातीत दीक्षा दिन की कथा:
यह दिन शास्त्रीजी महाराज द्वारा दी गई दिव्य दीक्षा की स्मृति है, जिसे बाद में योगीजी महाराज और प्रमुख स्वामी महाराज ने आगे बढ़ाया। यह दीक्षा संत के त्याग, भक्ति और पूर्ण समर्पण के मार्ग पर चलने की शुरुआत होती है।
यह पर्व क्यों मनाया जाता है:
गुणातीत दीक्षा दिन त्याग, पवित्रता और सेवा-समर्पण के आदर्श जीवन की प्रेरणा देता है। यह भक्तों को भगवान और गुरु से जुड़ने और गुणातीत संतों के आदर्शों का अनुसरण करने के लिए प्रेरित करता है।
पर्व की मुख्य परंपराएं:
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सत्संग सभाएं: बीएपीएस मंदिरों में विशेष प्रवचन और कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
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भक्ति-कीर्तन: संतों की महिमा में भजन-कीर्तन गाए जाते हैं।
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वीडियो दर्शन: गुणातीत गुरुजनों पर आधारित प्रेरणादायक वीडियो और फिल्में दिखाई जाती हैं।
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नियमों का संकल्प: कई श्रद्धालु नए नियम लेते हैं और आत्म-अनुशासन को मजबूत करते हैं।
पर्व का महत्व:
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आध्यात्मिक समर्पण और सेवा भावना को बढ़ावा देता है।
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गुणातीत गुरु परंपरा को सम्मान देता है।
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भक्ति, पवित्रता और नियमबद्ध जीवन को प्रेरित करता है।
निष्कर्ष:
गुणातीत दीक्षा दिन संतत्व, त्याग और भक्ति के पथ पर चलने की प्रेरणा देता है। यह आत्मशुद्धि और उच्च उद्देश्यपूर्ण जीवन की ओर मार्गदर्शन करता है।




