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फूलदोलोत्सव / पुष्पादोलोत्सव

फूलदोलोत्सव का परिचय
फूलदोलोत्सव, जिसे डोलोत्सव या वसंतोत्सव भी कहा जाता है, होली के अगले दिन मनाया जाता है। यह एक रंग-बिरंगा भक्ति-पूर्ण पर्व है जो विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण और स्वामिनारायण भगवान के प्रति प्रेम और श्रद्धा व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है।

पृष्ठभूमि और धार्मिक कथा
शास्त्रों के अनुसार, वसंत ऋतु में भगवान को फूलों से प्रसन्न करना विशेष पुण्यदायक माना गया है। श्रीकृष्ण ने गोकुल में गोपियों के साथ रंगों और फूलों का यह उत्सव मनाया था। उसी परंपरा के अनुसार यह उत्सव आज भी भक्ति भाव से मनाया जाता है।

स्वामिनारायण संप्रदाय में फूलडोलोत्सव
फूलदोलोत्सव स्वामिनारायण मंदिरों में बहुत ही भव्य रूप से मनाया जाता है। भगवान के लिए फूलों से सजे भव्य दरबार बनाए जाते हैं, और उन पर सुगंधित फूलों की वर्षा की जाती है। संत और भक्त भजनों, आरती और सेवा में दिन बिताते हैं।

मुख्य परंपराएं और आयोजन
भगवान पर फूलों का अभिषेक और आरती
भक्तों द्वारा फूलों की वर्षा
सुगंधित वातावरण में भजन-कीर्तन
प्रसाद वितरण और सामूहिक आनंद

उत्सव का महत्व
यह उत्सव भक्तों को भगवान के प्रति प्रेम, सेवा और आनंद का अवसर देता है। फूलों की महक और रंग मन को शुद्ध करते हैं और आत्मा को भगवान की निकटता का अनुभव कराते हैं।

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