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आमलकी एकादशी: धर्म, आरोग्य और भक्ति का पर्व
आमलकी एकादशी फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है जिसे भगवान विष्णु का स्वरूप माना गया है। यह एकादशी धार्मिक और आयुर्वेदिक दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।

पौराणिक मान्यता
मान्यता है कि इस व्रत को धर्मराज युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण के निर्देश पर किया था। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु आंवले के वृक्ष में निवास करते हैं। अतः इसकी पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

आयुर्वेदिक महत्व
आंवला स्वास्थ्य के लिए अत्यंत उपयोगी होता है। इसमें विटामिन C भरपूर मात्रा में होता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। यह शरीर की शुद्धि और दीर्घायु में सहायक है।

व्रत और पूजा विधि
भक्त इस दिन व्रत करते हैं, आंवले के पेड़ की पूजा कर दीप जलाते हैं, और भगवान विष्णु के नाम का जप करते हैं।

निष्कर्ष
आमलकी एकादशी आध्यात्मिक, शारीरिक और मानसिक शुद्धि का पर्व है, जो जीवन में संतुलन लाने में सहायक है।

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