परिचय
बॉयन की लड़ाई हर साल 12 जुलाई को मुख्य रूप से उत्तरी आयरलैंड में मनाई जाती है। यह 1690 में इंग्लैंड के कैथोलिक राजा जेम्स द्वितीय और प्रोटेस्टेंट राजा विलियम तृतीय (ऑरेंज) के बीच लड़ी गई ऐतिहासिक लड़ाई को याद करती है। यह घटना उत्तरी आयरलैंड में यूनियनिस्टों और लॉयलिस्टों के लिए प्रोटेस्टेंट पहचान का प्रतीक बन चुकी है।
इतिहास और महत्व
यह लड़ाई वास्तव में 1 जुलाई 1690 को (जूलियन कैलेंडर अनुसार) आयरलैंड के ड्रोगेडा के पास बॉयन नदी के किनारे लड़ी गई थी। विलियम की सेनाओं ने जेम्स की सेना को हरा दिया, जिससे आयरलैंड और ब्रिटिश सिंहासन पर प्रोटेस्टेंट वर्चस्व स्थापित हुआ।
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धार्मिक और राजनीतिक प्रभाव: यह लड़ाई कैथोलिक राजतंत्र की हार और ब्रिटिश द्वीपों में प्रोटेस्टेंट शासन की जीत को दर्शाती है।
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सांस्कृतिक पहचान: ऑरेंज ऑर्डर जैसे समूहों के लिए यह धार्मिक स्वतंत्रता और ब्रिटेन से राजनीतिक एकता का प्रतीक है।
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विवाद: कैथोलिक और आयरिश राष्ट्रवादियों के लिए यह उत्सव तनाव का कारण हो सकता है, क्योंकि यह वर्षों की दमन और विभाजन की याद दिलाता है।
आधुनिक उत्सव
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ऑरेंजमेन परेड: पारंपरिक पोशाक, बैनर और संगीत के साथ बड़े जुलूस।
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आग जलाना: 11 जुलाई की रात को लॉयलिस्ट क्षेत्रों में विशाल बोनफायर जलाए जाते हैं।
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सुरक्षा व्यवस्था: तनाव की संभावना के कारण पुलिस बल की उपस्थिति होती है।
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सांस्कृतिक शिक्षा: अब इस ऐतिहासिक घटना की जानकारी और समझ बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
निष्कर्ष
बॉयन की लड़ाई उत्तरी आयरलैंड की पहचान और राजनीति में आज भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह कुछ लोगों के लिए गर्व का प्रतीक है, तो कुछ के लिए सामुदायिक एकता और आपसी सम्मान की आवश्यकता की याद दिलाती है।




