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पर्व का परिचय
विजयादशमी या दशहरा, भारत के सबसे प्रमुख और पावन त्योहारों में से एक है। यह आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार नवरात्रि के अंतिम दिन आता है और यह अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है।

धार्मिक और पौराणिक महत्व
मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीराम ने लंका के राजा रावण का वध किया था और सीता माता को वापस लाया था। इसीलिए इस दिन को "विजय" का प्रतीक माना जाता है। एक अन्य कथा के अनुसार, देवी दुर्गा ने नौ दिनों तक महिषासुर से युद्ध कर दशमी के दिन उसे पराजित किया था।

शस्त्र पूजा और आयुध पूजा
विजयादशमी का दिन शस्त्र और औजारों की पूजा का विशेष महत्व रखता है। योद्धा अपने अस्त्र-शस्त्र की, और सामान्य जन अपने दैनिक उपकरणों की पूजा करते हैं। विद्यार्थी इस दिन को ज्ञानार्जन की शुरुआत के लिए शुभ मानते हैं।

रावण दहन और रामलीला
उत्तर भारत में विशेष रूप से रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन होता है। इस दिन रामलीला का मंचन किया जाता है, जिसमें भगवान राम के जीवन की लीलाएं प्रस्तुत की जाती हैं। हजारों की संख्या में लोग इस आयोजन में भाग लेते हैं।

सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
यह पर्व विभिन्न समुदायों और समाजों को एक साथ लाता है। मेलों का आयोजन होता है, लोककला, संगीत, और नृत्य के कार्यक्रम होते हैं। यह एकता, सहयोग और संस्कृति का उत्सव बन जाता है।

आध्यात्मिक संदेश
विजयादशमी यह संदेश देती है कि अंत में सच्चाई, धर्म और न्याय की ही जीत होती है। यह त्योहार जीवन में नैतिक मूल्यों और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।

निष्कर्ष
विजयादशमी केवल एक त्योहार नहीं बल्कि एक विचारधारा है — कि हर रावण का अंत होता है और हर राम की विजय होती है। यह पर्व धर्म, शक्ति और साहस की आराधना का प्रतीक है।

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