परिचय
श्रावण मास हिन्दू पंचांग का सबसे पावन महीनों में से एक है। यह महीना विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा, उपवास और आध्यात्मिक साधना के लिए समर्पित होता है।
श्रावण मास कब शुरू होता है?
श्रावण मास की शुरुआत दो प्रकार के पंचांगों पर निर्भर करती है:
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पूर्णिमांत पंचांग (उत्तर भारत): इसमें माह पूर्णिमा के बाद शुरू होता है, यानी आषाढ़ पूर्णिमा के अगले दिन से श्रावण मास आरंभ होता है।
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अमावस्यांत पंचांग (दक्षिण और पश्चिम भारत जैसे गुजरात, महाराष्ट्र): इसमें अमावस्या के बाद महीना आरंभ होता है, यानी आषाढ़ अमावस्या के बाद श्रावण मास शुरू होता है।
इन दोनों गणनाओं के कारण श्रावण मास की शुरुआत में लगभग १५ दिनों का अंतर होता है।
धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
श्रावण भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इस मास में सोमवार को उपवास (श्रावण सोमवार) रखे जाते हैं। भक्त शिव मंदिरों में रुद्राभिषेक, मंत्र जाप, और पूजा करते हैं।
श्रावण सोमवार और व्रत
श्रावण सोमवार को व्रत रखकर शिवलिंग पर जलाभिषेक और बेलपत्र अर्पित किया जाता है। विवाहित महिलाएं परिवार की समृद्धि हेतु व्रत करती हैं और अविवाहित लड़कियां अच्छे वर की कामना से।
श्रावण में आने वाले प्रमुख त्योहार
इस मास में नाग पंचमी, रक्षाबंधन, श्रावण शिवरात्रि, और कई क्षेत्रों में जन्माष्टमी भी आती है।
साधना और संयम का महत्त्व
श्रावण मास संयम, भक्ति और तप का समय माना जाता है। लोग सात्विक भोजन, ध्यान, मंत्र जाप, और धार्मिक क्रियाओं द्वारा आत्मिक शुद्धि का प्रयास करते हैं।
निष्कर्ष
श्रावण मास का आरंभ एक ऐसे पवित्र काल की शुरुआत है जिसमें भक्ति, उपवास और भगवान शिव की आराधना से जीवन को अध्यात्म की ओर मोड़ा जाता है।