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रथ यात्रा (आसाधी बिज)

परिचय

रथ यात्रा हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो हर वर्ष आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से पुरी (ओडिशा) में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की भव्य रथ यात्रा के रूप में प्रसिद्ध है। इस अवसर पर तीनों देवताओं की विशाल लकड़ी की रथों में सवारी कराई जाती है, जिसे लाखों श्रद्धालु खींचते हैं। यह पर्व भारत के अन्य हिस्सों, जैसे अहमदाबाद (गुजरात) और महेश (पश्चिम बंगाल) में भी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।

पर्व के पीछे की कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ हर वर्ष अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर जाते हैं। इस यात्रा को रथ यात्रा कहा जाता है। यात्रा के दौरान, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा तीन अलग-अलग रथों में सवार होकर पुरी के मुख्य मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक जाते हैं। यह यात्रा भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र मानी जाती है, क्योंकि इस दौरान भगवान स्वयं अपने भक्तों के बीच आते हैं।

हम रथ यात्रा क्यों मनाते हैं

रथ यात्रा का आयोजन भगवान जगन्नाथ के भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र होता है। यह यात्रा ईश्वर के साक्षात दर्शन और उनके आशीर्वाद का अवसर प्रदान करती है। यह पर्व भगवान के नगर भ्रमण, भक्तों से मिलने और समाज में समानता और प्रेम का संदेश देने के लिए मनाया जाता है। इसमें यह भी मान्यता है कि इस दिन भगवान स्वयं अपने भक्तों के पास आते हैं, इसलिए यह दिन बेहद शुभ माना जाता है।

रथ यात्रा की प्रमुख परंपराएँ

इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की विशाल मूर्तियों को भव्य सजे हुए रथों पर विराजमान किया जाता है। पुरी में तीन अलग-अलग रथ बनाए जाते हैं – जगन्नाथ के लिए ‘नंदीघोष’, बलभद्र के लिए ‘तालध्वज’ और सुभद्रा के लिए ‘दर्पदलन’। हजारों-लाखों भक्त इन रथों को रस्सियों से खींचते हैं, जिसे अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।

रथ यात्रा के दौरान विशेष भजन-कीर्तन, प्रसाद वितरण, और आध्यात्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। यात्रा सात दिनों तक चलती है और भगवान गुंडिचा मंदिर में विश्राम करते हैं।

रथ यात्रा का महत्व

रथ यात्रा ईश्वर और भक्तों के मिलन का प्रतीक है। यह पर्व यह संदेश देता है कि भगवान केवल मंदिरों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे हर एक भक्त के हृदय में निवास करते हैं। यह सामाजिक समानता, समर्पण और सेवा भाव को बढ़ावा देता है। रथ यात्रा का दर्शन और रथ खींचना भक्तों के लिए अत्यंत पुण्यदायक और मोक्षदायक माना जाता है।

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