त्योहार का परिचय:
पिठोरी अमावस्या भाद्रपद मास की अमावस्या को मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत विशेष रूप से माताओं द्वारा अपने बच्चों की सुख-समृद्धि, सुरक्षा और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखा जाता है। इस दिन माता पिठोरी और 64 योगिनियों की पूजा की जाती है।
पिठोरी अमावस्या की कथा:
पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक महिला ने यह व्रत नहीं किया, जिससे उसके बच्चे को नुकसान पहुँचा। बाद में, वृद्ध महिलाओं की सलाह पर उसने यह व्रत पूर्ण श्रद्धा से किया, जिससे उसका जीवन फिर से शांत और सुखमय हो गया।
हम यह पर्व क्यों मनाते हैं:
यह व्रत माँ-बच्चे के रिश्ते को मजबूत करने, बच्चों की दीर्घायु और रक्षा, तथा नारी शक्ति की पूजा के लिए किया जाता है।
पिठोरी अमावस्या की मुख्य परंपराएँ:
व्रत और पूजा:
माताएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और शाम को पूजा करती हैं।
मूर्ति निर्माण:
आटे (पिठ) से माता की मूर्ति बनाई जाती है।
भोग अर्पण:
चावल, दही, फल, मिठाई आदि चढ़ाए जाते हैं।
व्रत कथा का पाठ:
पूजा में पिठोरी व्रत कथा सुनाई जाती है।
त्योहार का महत्व:
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नकारात्मकता से रक्षा
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माँ-बच्चे के रिश्ते की मजबूती
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धार्मिक परंपरा का संरक्षण