त्योहार का परिचय:
पारसी नववर्ष, जिसे पतेती कहा जाता है, पारसी समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पर्व है। यह शहेनशाही कैलेंडर के अनुसार अगस्त महीने में आता है और नई शुरुआत, आत्ममंथन और क्षमा का प्रतीक है।
पतेती की पृष्ठभूमि:
'पतेती' शब्द फारसी शब्द "पटेट" से लिया गया है, जिसका अर्थ है पश्चाताप। इस दिन पारसी अपने पिछले कर्मों पर विचार करते हैं, ईश्वर अहुरा मज़दा से क्षमा मांगते हैं, और एक नैतिक रूप से श्रेष्ठ जीवन की शुरुआत करते हैं।
यह पर्व क्यों मनाया जाता है:
पतेती केवल उत्सव नहीं, बल्कि आत्मनिरीक्षण और आध्यात्मिक शुद्धि का दिन है। यह इंसान को सदाचार, करुणा और आत्मशुद्धि की प्रेरणा देता है।
पतेती की प्रमुख परंपराएँ:
घर की सफाई और सजावट:
घरों को फूलों, रंगोली और दीयों से सजाया जाता है।
अगियारी (फायर टेम्पल) दर्शन:
भक्त अहुरा मज़दा की पूजा के लिए अगियारी जाते हैं।
पारिवारिक भोज और नए वस्त्र:
लोग नए कपड़े पहनते हैं, मिठाई बाँटते हैं और धनसाक, रवा केक, साली बोटी जैसे पकवान खाते हैं।
आत्मिक चिंतन और संकल्प:
यह दिन आत्ममंथन, पश्चाताप और सकारात्मक संकल्पों का भी होता है।
त्योहार का महत्व:
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आत्मशुद्धि और क्षमा की भावना
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पारिवारिक और सांस्कृतिक एकता
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आध्यात्मिक विकास का मार्ग
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ज़रथुस्त्री परंपरा का संरक्षण
आधुनिक समय में उत्सव:
आज भी मुंबई, नवरसारी और पुणे जैसे शहरों में पारसी समुदाय बड़े गर्व से इस पर्व को मनाता है। भजन, पारंपरिक परिधान, और समूह भोज इस पर्व की सांस्कृतिक गरिमा को जीवित रखते हैं।