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परिचय
महात्मा गांधी जयंती भारत के सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय त्योहारों में से एक है, जिसे हर साल 2 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिन्होंने सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों के माध्यम से भारत को स्वतंत्रता दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी।

गांधी जी का प्रारंभिक जीवन
मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनके पिता करमचंद गांधी पोरबंदर के दीवान थे और माता पुतलीबाई धार्मिक प्रवृत्ति की थीं। गांधी जी पर जैन धर्म के सिद्धांतों का गहरा प्रभाव पड़ा।
19 वर्ष की आयु में वे कानून की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गए और बैरिस्टर बने। फिर वे दक्षिण अफ्रीका गए जहाँ उन्होंने नस्लीय भेदभाव के विरुद्ध संघर्ष किया। यहीं पर उन्होंने सत्याग्रह का सिद्धांत विकसित किया।

अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांत
गांधी जी का विश्वास था कि किसी भी अन्याय के खिलाफ लड़ाई बिना हिंसा के जीती जा सकती है। उन्होंने सत्याग्रह (सत्य के लिए आग्रह) और अहिंसा (हिंसाहीन मार्ग) के माध्यम से कई आंदोलन चलाए, जैसे –

  • चंपारण सत्याग्रह (1917)

  • खेड़ा सत्याग्रह (1918)

  • असहयोग आंदोलन (1920)

  • नमक सत्याग्रह/डांडी यात्रा (1930)

  • भारत छोड़ो आंदोलन (1942)

राष्ट्रीय और वैश्विक महत्व
गांधी जी केवल भारत तक सीमित नहीं रहे, बल्कि उनके विचारों ने दुनिया भर को प्रभावित किया। मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला जैसे विश्व नेता उनसे प्रेरित हुए। संयुक्त राष्ट्र ने 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में घोषित किया है, जो उनकी वैश्विक विरासत को दर्शाता है।

समारोह और आयोजन
इस दिन भारतभर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं:

  • राजघाट (दिल्ली) में प्रार्थना सभा और श्रद्धांजलि

  • "वैष्णव जन तो" जैसे भजनों का आयोजन

  • स्कूलों में निबंध, भाषण प्रतियोगिताएं

  • स्वच्छता अभियान

  • गांधी जी के जीवन पर आधारित वृत्तचित्रों और फिल्मों का प्रसारण

गांधी जी की प्रेरणा और विरासत
गांधी जी ने सादा जीवन, उच्च विचार को अपनाया और समाज के सभी वर्गों के लिए समानता की बात की। उन्होंने अस्पृश्यता के खिलाफ आवाज उठाई और खादी को आत्मनिर्भरता का प्रतीक बनाया। उनकी आत्मकथा सत्य के साथ मेरे प्रयोग आज भी लोगों को प्रेरणा देती है।

निष्कर्ष
गांधी जयंती न केवल एक स्मृति दिवस है, बल्कि यह सत्य, अहिंसा और मानवता के मार्ग पर चलने का प्रेरणास्रोत है। यह हमें याद दिलाता है कि प्रेम, सहिष्णुता और न्याय के माध्यम से ही समाज का उत्थान संभव है।

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