परिचय
कर्नाटक राज्योत्सव हर साल 1 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन 1956 में कर्नाटक राज्य के गठन की स्मृति में मनाया जाता है, जब विभिन्न दक्षिण भारतीय क्षेत्रों को मिलाकर नया राज्य बनाया गया था।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत मैसूर, बेलगाम, बीजापुर, धारवाड़ जैसे क्षेत्रों को मिलाकर एक नया राज्य बनाया गया, जिसे बाद में 1973 में “मैसूर” से बदलकर “कर्नाटक” नाम दिया गया।
सांस्कृतिक समृद्धि
कर्नाटक का इतिहास, कला, संगीत, साहित्य और वास्तुकला में विशेष योगदान है। हम्पी, बदामी, पत्तदकल जैसे ऐतिहासिक स्थल इसकी समृद्ध संस्कृति के प्रमाण हैं। कन्नड़ भाषा इस राज्य की आत्मा है।
आर्थिक और सामाजिक विकास
कर्नाटक में बेंगलुरु को एक ग्लોબल आईटी हब के रूप में स्थापित किया गया है। कृषि, बायोटेक्नोलॉजी, टेक्सटाइल, और मैन्युफैक्चरिंग में भी राज्य का योगदान उल्लेखनीय है।
समारोह और आयोजन
1 नवंबर को राज्य भर में सांस्कृतिक कार्यक्रम, झांकियां, भाषण, पुरस्कार समारोह आयोजित होते हैं। कन्नड़ भाषा और साहित्य के क्षेत्र में योगदान देने वालों को सम्मानित किया जाता है।
निष्कर्ष
कर्नाटक राज्योत्सव केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि राज्य की पहचान, संस्कृति और गौरव की अभिव्यक्ति है।