त्योहार का परिचय:
हरियाली अमावस्या, जिसे हरियाली अमास भी कहा जाता है, श्रावण मास के अमावस्या (अंधकारमय नया चंद्र दिन) को मनाई जाती है। "हरियाली" का अर्थ है "हरा-भरा," और यह दिन प्रकृति, कृषि और दैवी आशीर्वाद का उत्सव है।
यह मुख्य रूप से उत्तर भारत के राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश में मनाई जाती है और मानसून के आगमन को दर्शाती है।
हरियाली अमावस्या के पीछे की कहानी:
यह त्योहार प्रकृति की उर्वरता और वर्षा के महत्व को सम्मानित करता है। भगवान शिव और भगवान विष्णु को विभिन्न क्षेत्रों में इस दिन पूजा जाता है।
हम यह त्योहार क्यों मनाते हैं:
यह प्रकृति की कृपा और वर्षा के लिए आभार प्रकट करने का अवसर है। परिवारों की समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना की जाती है। यह पर्यावरण जागरूकता और वृक्षारोपण को भी बढ़ावा देता है।
हरियाली अमावस्या की मुख्य परंपराएं:
प्रातःकालीन पूजा:
भक्त सुबह जल्दी स्नान करते हैं और पूर्वजों के लिए तर्पण करते हैं।
पूजा:
भगवान शिव या विष्णु की बिल्व पत्र, तुलसी, फल और फूलों से पूजा की जाती है।
मंदिर और घर में पूजा:
विशेष पूजा और भेंट मंदिरों और घरों में की जाती है।
वृक्षारोपण और हरित अभियान:
वृक्षारोपण और पर्यावरण जागरूकता के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
मेला और सांस्कृतिक कार्यक्रम:
राजस्थान और गुजरात में जैसे उदयपुर और अम्बाजी में मेले और सांस्कृतिक आयोजन होते हैं।
महिलाओं की प्रार्थना:
महिलाएं परिवार की भलाई और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं।
त्योहार का महत्व:
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प्रकृति की उर्वरता और समृद्धि का प्रतीक।
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वर्षा और प्राकृतिक संसाधनों के प्रति कृतज्ञता।
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पर्यावरण संरक्षण और वृक्षारोपण को प्रोत्साहन।
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भगवान शिव और विष्णु को समर्पित।
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सामुदायिक जुड़ाव और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा।