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गुरु गोविंद सिंह जयंती

परिचय
गुरु गोविंद सिंह जयंती सिख धर्म के दसवें गुरु, श्री गुरु गोविंद सिंह जी के जन्मदिवस के रूप में मनाई जाती है। उनका जीवन वीरता, त्याग और धर्मरक्षा का प्रतीक है। यह पर्व पौष मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को मनाया जाता है।

जीवन परिचय
गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर 1666 को बिहार के पटना शहर में हुआ था। उनके पिता गुरु तेग बहादुर जी थे, जिन्होंने धर्म की रक्षा के लिए बलिदान दिया। बचपन से ही उनमें आत्मबल और धार्मिक चेतना थी।

खालसा पंथ की स्थापना
1699 में बैसाखी के दिन गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की। उन्होंने पाँच प्यारे चुने और सिखों को एक नई पहचान दी। खालसा पंथ न्याय, धर्म और शौर्य का प्रतीक बना।

शौर्य और बलिदान
गुरु जी के चारों पुत्रों ने भी धर्म की रक्षा में अपने प्राण न्योछावर किए। दो छोटे साहिबजादों को ज़िंदा दीवार में चिनवा दिया गया था। उनका जीवन बलिदान और सत्य की प्रेरणा है।

साहित्यिक योगदान
गुरु जी एक महान कवि और लेखक भी थे। उन्होंने ‘चंडी दी वार’, ‘बच्छितर नाटक’ आदि ग्रंथों की रचना की, जो आज भी प्रेरणास्रोत हैं।

जयंती की परंपराएं
गुरुद्वारों में कीर्तन, अरदास, कथा, लंगर और नगर कीर्तन आयोजित होते हैं। सिख समुदाय सेवा भाव और एकता को महत्व देते हुए इस दिन मनाता है।

निष्कर्ष
गुरु गोविंद सिंह जयंती साहस, धर्मनिष्ठा और मानवता की प्रेरणा देती है। उनके सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं।

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