पर्व का परिचय:
गणेश विसर्जन गणेश चतुर्थी उत्सव का अंतिम और अत्यंत महत्वपूर्ण दिन होता है। यह दिन भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्ति को जल में प्रवाहित करने (विसर्जन) के रूप में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी से लेकर विसर्जन तक भक्त अपने घरों और सार्वजनिक स्थानों पर गणपति की भक्ति, पूजा और उत्सव में लीन रहते हैं। यह पर्व विशेष रूप से महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
पर्व के पीछे की कथा:
गणेश विसर्जन से जुड़ी कोई एक विशेष कथा नहीं है, लेकिन यह पर्व भगवान गणेश की धरती पर आगमन और फिर अपने लोक (कैवल्य या कैलाश) में वापसी का प्रतीक माना जाता है।
ऐसा कहा जाता है कि गणेश जी हर वर्ष धरती पर आते हैं ताकि अपने भक्तों के दुखों को हर सकें और उन्हें सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करें।
भक्तगण उन्हें ससम्मान आमंत्रित करते हैं, उनकी सेवा और पूजा करते हैं, और फिर उन्हें प्रेमपूर्वक विदा करते हैं, ताकि वे अगले वर्ष फिर से आकर भक्तों का कल्याण कर सकें।
विसर्जन का तात्पर्य है—संपत्ति, सुख, अहंकार और इच्छाओं को त्यागना और भगवान में लीन हो जाना।
हम यह पर्व क्यों मनाते हैं:
गणेश विसर्जन आत्म-त्याग, विनम्रता और विश्वास का प्रतीक है। यह पर्व यह सिखाता है कि हर आरंभ का एक अंत होता है, और अंत ही एक नए आरंभ की ओर ले जाता है। भगवान गणेश की मूर्ति को जल में विसर्जित करने का अर्थ है कि हम अपने भीतर की बुराइयों और दोषों को समाप्त कर रहे हैं और स्वयं को शुद्ध कर रहे हैं।
यह दिन आस्था और भक्ति के साथ-साथ भावनात्मक विदाई का भी होता है, जिसमें भक्त भावुक होकर "गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ" का जयघोष करते हैं।
पर्व की प्रमुख परंपराएँ:
शोभायात्रा: गणपति की मूर्ति को विसर्जन के लिए ढोल-नगाड़ों, भजनों, नृत्य और गीतों के साथ शोभायात्रा में ले जाया जाता है।
आरती और पूजा: विसर्जन से पूर्व विशेष आरती की जाती है और भगवान से क्षमा मांगी जाती है यदि पूजा में कोई त्रुटि हुई हो।
विसर्जन: मूर्ति को जल में प्रवाहित किया जाता है। कई लोग पर्यावरण के प्रति जागरूकता के चलते छोटी और इको-फ्रेंडली मूर्तियों का विसर्जन घर पर बाल्टी या टब में करते हैं।
प्रसाद वितरण: विसर्जन से पूर्व लोगों को मोदक और अन्य मिठाइयों का प्रसाद वितरित किया जाता है।
5. पर्व का महत्व:
गणेश विसर्जन आत्मा की शुद्धि, अध्यात्म की ओर अग्रसर होने और जीवन में अस्थिरताओं को स्वीकार करने का प्रतीक है। यह पर्व हमें सिखाता है कि प्रत्येक प्रिय वस्तु या व्यक्ति को विदा करना भी जीवन का एक हिस्सा है।
यह पर्व त्याग, विश्वास और नई शुरुआत का संदेश देता है। विसर्जन की प्रक्रिया हमें यह सिखाती है कि हमें जीवन में हर बंधन और मोह को छोड़कर ईश्वर में समर्पित होना चाहिए।
गणेश विसर्जन भक्तों के लिए एक भावनात्मक पल होता है, जिसमें वे एक ओर विदाई का दुःख अनुभव करते हैं, तो दूसरी ओर पुनर्मिलन की आशा से प्रेरित होते हैं।