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गणेश चतुर्थी

गणेश चतुर्थी

पर्व का परिचय:

 गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, जो अगस्त या सितंबर में आती है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, बुद्धि और समृद्धि के देवता माना जाता है। यह पर्व विशेष रूप से महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

पर्व के पीछे की कथा:

गणेश चतुर्थी से जुड़ी कथा के अनुसार, माता पार्वती ने अपने शरीर की मिट्टी से एक बालक की मूर्ति बनाई और उसमें प्राण फूंके। उस बालक को उन्होंने दरवाजे पर खड़ा कर दिया ताकि वह किसी को अंदर न आने दे, जब वह स्नान कर रही थीं।
इसी दौरान भगवान शिव वहां आए, लेकिन गणेश जी ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। क्रोधित होकर भगवान शिव ने गणेश जी का सिर काट दिया। जब माता पार्वती को यह पता चला, तो वह अत्यंत दुखी हुईं और सृष्टि के विनाश की धमकी दी।
तब भगवान शिव ने वचन दिया कि वे गणेश को जीवन दान देंगे। उन्होंने देवताओं को आदेश दिया कि वह किसी जीव का सिर लेकर आएं, जो उत्तर दिशा की ओर सोया हो। उन्हें एक हाथी का सिर मिला, जिसे भगवान शिव ने गणेश के शरीर पर स्थापित कर दिया और उन्हें जीवनदान देकर 'विघ्नहर्ता' और 'प्रथम पूज्य' होने का आशीर्वाद दिया।
तभी से गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के जन्मोत्सव को श्रद्धा और भक्ति से मनाया जाता है।

हम यह पर्व क्यों मनाते हैं:


गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश के जन्म की खुशी में मनाया जाता है। वे बुद्धि, समृद्धि और सफलता के देवता माने जाते हैं। यह दिन नए कार्यों की शुरुआत, बाधाओं के निवारण और शुभता की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से उपयुक्त माना जाता है। यह पर्व सामूहिक एकता, सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक है।

पर्व की प्रमुख परंपराएँ:

इस दिन लोग अपने घरों या पंडालों में गणेश जी की मिट्टी की मूर्ति स्थापित करते हैं।

मूर्ति की स्थापना के साथ 'प्राण प्रतिष्ठा' की जाती है, जिसमें मंत्रोच्चार और पूजा होती है।

अगले 1.5, 3, 5, 7, 10 या 11 दिनों तक गणपति की पूजा की जाती है, जिसके अंत में 'विसर्जन' (मूर्ति को जल में प्रवाहित करना) किया जाता है।

हर दिन आरती, भजन, प्रसाद वितरण और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

मोदक, जिसे गणेश जी का प्रिय भोजन माना जाता है, विशेष रूप से बनाया जाता है।

पर्व का महत्व:


गणेश चतुर्थी केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं, बल्कि यह सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। यह पर्व जीवन में अच्छे प्रारंभ, सकारात्मक ऊर्जा और भक्तिभाव का संदेश देता है। यह भक्तों को यह सिखाता है कि विनम्रता, भक्ति और दृढ़ता से जीवन की सभी बाधाओं को दूर किया जा सकता है।

गणेश चतुर्थी का त्योहार हमें यह भी प्रेरणा देता है कि प्रत्येक कार्य की शुरुआत गणेश जी के नाम से की जाए, जिससे वह सफलता की ओर अग्रसर हो।

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