त्योहार का परिचय:
दिवासो स्वामिनारायण संप्रदाय में एक विशेष आध्यात्मिक उत्सव है, जो मुख्य रूप से गुणातीत परंपरा के अनुयायियों द्वारा मनाया जाता है। इसे किसी भी महीने की सुद पूनम (पूर्णिमा) या संतों तथा संस्थाओं जैसे बीएपीएस और भादरवा गुरुकुल द्वारा घोषित आध्यात्मिक महत्वपूर्ण दिनों पर मनाया जाता है।
दिवासो के पीछे की कहानी:
“दिवासो” शब्द का अर्थ है “दिव्य दिन” या “पवित्र अवसर।” यह दिन भगवान स्वामिनारायण और गुणातीत संतों के दिव्य लीलाओं और शिक्षाओं को स्मरण करने एवं चिंतन करने के लिए समर्पित है। यह आध्यात्मिक जागरण, सत्संग में वृद्धि और अंतःशुद्धि का समय भी है।
हम यह त्योहार क्यों मनाते हैं:
दिवासो भगवान स्वामिनारायण और गुणातीत संतों की आध्यात्मिक विरासत का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है। यह भक्तों को अपनी भक्ति को गहरा करने, सांसारिक व्यस्तताओं से विराम लेने और स्मरण, सेवा तथा आध्यात्मिक विकास में संलग्न होने के लिए प्रोत्साहित करता है।
दिवासो की मुख्य परंपराएं:
भजन, कीर्तन और प्रवचन:
भक्त मंदिरों और सत्संग सभाओं में भजन-कीर्तन और आध्यात्मिक प्रवचन करते हैं।
व्रत और सेवा:
कई भक्त उपवास करते हैं, माला-जप करते हैं, या सेवा करते हैं।
आध्यात्मिक उत्थान:
संत उच्च आध्यात्मिक चेतना और आत्मनिरीक्षण के संदेश देते हैं।
संतों के महत्वपूर्ण क्षणों का स्मरण:
संतों के जीवन के ऐतिहासिक महत्वपूर्ण क्षणों को मनाया जाता है।
त्योहार का महत्व:
दिव्य स्मरण:
यह दिन दिव्य शिक्षाओं और कार्यों को याद करने का है।
आध्यात्मिक जागरण:
शुद्धिकरण और ईश्वरीय संबंध को गहरा करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
सत्संग और भक्ति:
सामूहिक पूजा और सेवा के माध्यम से आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देता है।