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व्रत का परिचय:

दशामा व्रत एक महत्वपूर्ण हिन्दू धार्मिक व्रत है, जो विशेष रूप से कुमारी कन्याओं द्वारा किया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से गुजरात और महाराष्ट्र में मनाया जाता है और इसका उद्देश्य पति के दीर्घायु और सुखी जीवन की कामना करना है। यह व्रत अषाढ़ शुद्ध दशमी से शुरू होता है और पांच दिनों तक चलता है, जिसमें विशेष पूजा, उपवास और अनुष्ठान किए जाते हैं।

व्रत की कथा:

 पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या की थी। उनका यह व्रत उसी तपस्या का प्रतीक है। कथा के अनुसार, पार्वती माता ने इस व्रत को करके भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त किया और उन्हें पति के रूप में प्राप्त किया। इस व्रत को करने से कन्याओं को उनका मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है और उनके जीवन में सौभाग्य आता है।

हम यह व्रत क्यों मनाते हैं:

 यह व्रत विशेष रूप से कुमारी कन्याओं द्वारा उनके मनचाहे पति की प्राप्ति और सुखी जीवन के लिए किया जाता है। इसके अलावा, यह व्रत विवाहित महिलाओं के लिए भी है, ताकि वे अपने पति की लंबी उम्र और सुख-शांति की कामना कर सकें। यह व्रत जीवन में सौभाग्य, समृद्धि और खुशहाली लाने का प्रतीक माना जाता है।

व्रत की प्रमुख परंपराएँ:

व्रत का प्रारंभ: यह व्रत अषाढ़ शुद्ध दशमी के दिन प्रारंभ होता है। महिलाएँ इस दिन स्नान करके पवित्र व्रत का आरंभ करती हैं।

पूजा विधि: इस दिन शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। पूजा में दूध, पानी, बिल्वपत्र, कुंकुम, और फूल अर्पित किए जाते हैं।

उपवास: व्रत करने वाली महिलाएं पांच दिन तक उपवास करती हैं और फलाहार करती हैं।

वावनी: इस दिन सात प्रकार के धान्य बीज मिट्टी के पात्र में बोकर उन्हें रोज़ पानी देते हैं।

जागरण: व्रत के अंतिम दिन रातभर जागरण किया जाता है, जिसमें महिलाएं भजन-कीर्तन करती हैं।

समापन: व्रत का समापन पांचवे दिन जवारों का विसर्जन करके किया जाता है।

व्रत का महत्व:

पति की लंबी उम्र: इस व्रत को करने से महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं।

सौभाग्य और समृद्धि: यह व्रत कुमारी कन्याओं को उनका मनचाहा पति और खुशहाल जीवन प्राप्त करने में मदद करता है।

आध्यात्मिक उन्नति: यह व्रत आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है।

परिवारिक सुख: इस व्रत से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

दशामा व्रत एक महत्वपूर्ण धार्मिक कार्यक्रम है, जो न केवल एक आध्यात्मिक कार्य है, बल्कि यह परिवार में सुख, समृद्धि और खुशी की प्राप्ति का एक मार्ग है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।

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