चेटीचांद का परिचय
चेटीचांद सिंधी समुदाय के लिए नए वर्ष की शुरुआत का पर्व है, जो चैत्र शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है। यह दिन भगवान झूलेलाल के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जिन्होंने सिंधी समाज को आध्यात्मिक दिशा दी और अत्याचार के खिलाफ एकजुट किया।
भगवान झूलेलाल का जन्म और भूमिका
भगवान झूलेलाल का जन्म ऐसे समय हुआ जब सिंधी समाज पर धार्मिक अत्याचार हो रहा था। उन्होंने जल देवता के रूप में अवतार लेकर लोगों को न्याय, सत्य और भक्ति का मार्ग दिखाया। उन्हें 'उदयलाल', 'लाल साईं' और 'झूलेलाल' नामों से भी जाना जाता है।
उत्सव और परंपराएं
इस दिन बहिराणा साहेब की शोभायात्रा निकाली जाती है जिसमें एक कलश या नाव में दीपक, मिठाई, नारियल, फल और प्रसाद रखा जाता है और उसे जल में प्रवाहित किया जाता है। मंदिरों और घरों में भजन, आरती और झूलेलाल जी के जयकारों से माहौल भक्तिमय बन जाता है।
सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व
चेटीचांद सिर्फ धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह सिंधी पहचान, भाषा और विरासत की रक्षा का पर्व है। इस दिन दुनिया भर के सिंधी लोग एकजुट होकर अपनी संस्कृति का जश्न मनाते हैं।
वर्तमान समय में प्रासंगिकता
आधुनिक समय में जब पारंपरिक पहचान और संस्कृति खो रही है, तब चेटीचांद युवाओं को अपनी जड़ों से जोड़ने का अवसर देता है।