त्योहार का परिचय:
चातुर्मास का अर्थ है "चार महीने", जो देवशयनी एकादशी (आषाढ़ शुक्ल एकादशी) से शुरू होकर देवउठनी एकादशी (कार्तिक शुक्ल एकादशी) तक चलता है। इस अवधि में भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं। यह समय आत्मसंयम, तपस्या और भक्ति साधना के लिए माना जाता है।
चातुर्मास की पौराणिक कथा:
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान विष्णु इस चार माह की अवधि में योगनिद्रा में चले जाते हैं। यह देवों का विश्राम काल होता है और मनुष्यों के लिए साधना व आत्मचिंतन का समय। इसलिए इस दौरान विवाह, गृहप्रवेश आदि शुभ कार्य नहीं किए जाते। यह समय आत्मविकास और तपस्या का प्रतीक है।
हम यह पर्व क्यों मनाते हैं:
चातुर्मास आत्म-संयम, शुद्धि और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। इस दौरान भक्त भोग-विलास को त्याग कर, जप, ध्यान और साधना में लीन रहते हैं। यह आत्मिक उन्नति का अवसर है।
चातुर्मास की प्रमुख परंपराएं:
व्रत और संयम:
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मांसाहार, प्याज, लहसुन, तला भोजन त्याग
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ब्रह्मचर्य, मौन और उपवास का पालन
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नियमित पूजा, पाठ, और गीता-पाठ
धार्मिक अनुष्ठान:
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विष्णु सहस्रनाम, गीता और भजन कीर्तन का पाठ
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मंदिर दर्शन और विष्णु भगवान की पूजा
चातुर्मास में आने वाले प्रमुख पर्व:
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गुरु पूर्णिमा
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नाग पंचमी
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रक्षाबंधन
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जन्माष्टमी
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गणेश चतुर्थी
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नवरात्रि
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शरद पूर्णिमा
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तुलसी विवाह (चातुर्मास का समापन)
पर्व का महत्व:
आध्यात्मिक उन्नति:
यह समय साधना और आत्मशुद्धि द्वारा आत्मिक प्रगति का अवसर देता है।
संयम और सादगी का जीवन:
सादगी और नियमों के पालन से तन और मन की शुद्धि होती है।
मोक्ष की ओर मार्ग:
चातुर्मास मोक्ष की प्राप्ति और ईश्वर साक्षात्कार की दिशा में एक यात्रा है।